केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड CBSE) ने बोर्ड परीक्षाओं के लिए दो नए नियम निकाले हैं जिसके द्वारा 10वीं और 12वीं के छात्रों को परीक्षा में बदलाव नजर आएगा यह बदलाव उनके उज्जवल भविष्य के लिए किया गया है शिक्षा की दृष्टि से यह बदलाव शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाएगा और छात्रों के भविष्य को विकास की तरफ लेकर जाएगा सीबीएसई बोर्ड इन नियमों को स्वीकृति देवी है क्योंकि उनका मानना है इन नियमों से छात्रों को एक बेहतर शैक्षिक माहौल मिलने की उम्मीद है इन नियमों बोर्ड ने परीक्षा पैटर्न और मूल्यांकन प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए हैं और कौशल आधारित प्रश्नों की संख्या में वृद्धि की है बोर्ड ने न्यूनतम उपस्थिति की अनुमति दी है लिए नीचे जानते हैं कि कैसी यह दो नियम छात्रों के उज्जवल भविष्य को विकास की ओर लेकर जाएगा।
Board exam 2025 के नए नियमों पर एक नजर
10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाओं में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं इन बदलावों के द्वारा छात्रों की शैक्षिक योग्यता को बढ़ावा देना है और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करना है। क्या है यह बदलाव कैसे यह लाभदायक है इन विषयों पर हम नीचे चर्चा करते हैं सारी जानकारी के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें
1.न्यूनतम उपस्थित
2.कौशल आधारित प्रश्न
3.आंतरिक मूल्यांकन
4.ओपन बुक परीक्षा
5.पाठ्यक्रम में कटौती
6.डिजिटल मूल्यांकन
7.परीक्षा दो सत्र में कराई जाएगी
8.प्रयोगात्मक परीक्षा
न्यूनतम उपस्थित
सीबीएसई बोर्ड ने 2025 की परीक्षाओं में न्यूनतम उपस्थिति के नियम के द्वारा छात्रों को न्यूनतम उपस्थित में भी एग्जाम देने की घोषणा की है कुछ परिस्थितियों में इसमें और भी छूट दी गई है
नए नियम के अनुसार अनुसार परीक्षा में बैठने के लिए कम से 75% की डिमांड रखी गई है
न्यूनतम उपस्थिति का नियम 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाओं के छात्रों पर लागू किया जाएगा।
न्यूनतम उपस्थिति की गणना 1 जनवरी 2025 तक की जाएगी
कुछ परिस्थितियों में छात्रों को 25 परसेंट तक की छूट भी दी जा सकती है।
इस नियम के द्वारा छात्रों को नियमित रूप से स्कूल आने और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से प्रोत्साहित किया गया है इस नियम के द्वारा छात्रों को बहुत लाभ होने वाला है यह उनके भविष्य में सुधार ला सकता है।
न्यूनतम उपस्थिति के लाभ
1.नियमित उपस्थिति के बहुत लाभ है जो इस प्रकार है
2.सामाजिक कौशल का विकास सुकून और सहपाठियों के बीच आपसी संबंध अच्छे होंगे
3.नियमित कक्षाओं के लगने से छात्र पाठ्यक्रम को अच्छे ढंग से समझ सकते हैं जिससे परीक्षा की तैयारी में सहायता मिलेगी और परीक्षार्थी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन दिलवाएंगी।
4.छात्रों में अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना जागृत होगी अपनी उपस्थितियां देकर वह परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं
5.पाठ्यक्रम पढ़ने के अलावा वह समय-समय पर कराए जाने वाले स्कूलों के प्रोग्राम्स मे भी हिस्सा ले सकते हैं।
आपातकालीन परिस्थितियों में विशेष छूट
सीबीएसई बोर्ड ने कुछ परिस्थितियों के लिए छात्रों को छूट देने का भी प्रावधान किया है उन स्थितियों का उल्लेख नीचे बताया गया है
- राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भागीदारी
2. कुछ गंभीर परिस्थितियों
3. चिकित्सा आपात स्थिति
4.सीबीएसई बोर्ड इन स्थितियों में छठ का प्रावधान तो बनाया है पर आपको जानकारी के लिए बता दे कि इन छठ के लिए विद्यार्थी को प्रमाण पत्र भी दिखाने पड़ेंगे जो आपकी स्थिति को सही से प्रमाणित करते हो
5. कौशल से संबंधित प्रश्नों की संख्या में बढ़ोतरी
6. सीबीएसई बोर्ड ने परीक्षा में कौशल पर आधारित प्रश्नों की संख्या में बढ़ोतरी का फैसला किया है इस बदलाव के अनुसार हमें नीचे लिखे बदलाव नजर आएंगे
7. दसवीं कक्षा के प्रश्न पत्र में 50% प्रश्न कौशल पर आधारित पूछे जाएंगे।
8. 12वीं कक्षा में भी इन प्रश्नों की संख्या बढ़कर 50% कर दी गई है
छात्र प्रश्न उत्तर रखने की बजाय उनका मूल्यांकन करके प्रश्नों का उत्तर देंगे इसी उद्देश्य से प्रश्न पत्र में बदलाव किया गया है इस बदलाव से छात्रों का कोशल विकास होगा।
कौशल कौशल पर आधारित प्रश्नों के लाभ
1.कौशल पर आधारित इन प्रश्न उत्तर के कई फायदे हैं
2.यह प्रश्न रचनात्मक और तार्किक सोच को बढ़ावा देंगे
3.यह छात्रों के व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित प्रश्न होंगे और वास्तविक जीवन से संबंधित प्रश्न होंगे
4.इन प्रश्नों की बेहतर तैयारी करके छात्रों को अपने भविष्य की चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर पाएंगे। विषय की गहराई को समझने के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है
5.रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल आधारित शिक्षा से छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़ेगी।
आंतरिक मूल्यांकन में वृद्धि
1.सीबीएसई बोर्ड ने आंतरिक मूल्यांकन के महत्व को बढ़ावा दिया है
2.बोर्ड में कुल अंकों का 40 परसेंट आंतरिक मूल्यांकन पर आधारित कर दिया गया है
3.इसमें आपके द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट वर्क प्रैक्टिकल और नियमित कक्षा गतिविधियां भी शामिल हैं
4.इस बदलाव से छात्रों के समग्र मूल्यांकन को निश्चित किया जाएगा
पाठ्यक्रम में कटौती
1.छात्रों में पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए सीबीएसई में पाठ्यक्रम में कुछ कटौतिया भी करवाई है। क्या है पाठ्यक्रम में कटौती नीचे जान लेते हैं ।
2.पाठ्यक्रम में 15% तक की कटौती की जाएगी।
3.इसी छात्रों को गहराई से अध्ययन करने का मौका मिलेगा
4.छात्रों पर पढ़ाई का मानसिक दबाव कम होगा
ओवरबुक परीक्षा का प्रावधान
1.सीबीएसई में कुछ विषयों में ओपन बुक परीक्षा का प्रावधान किया जाएगा
2.यह प्रावधान सभी विषयों के लिए नहीं है बल्कि कुछ चुनिंदा विषयों पर किया जाएगा
3.छात्रों की विश्लेषण क्षमता को बढ़ाने के लिए इस परीक्षा का प्रावधान किया गया है
4.ओपन बुक परीक्षा में छात्र परीक्षा के दौरान किताबें और अपने द्वारा बनाए गए नोटिस का उपयोग कर सकते हैं
डिजिटल मूल्यांकन
देश भर में सभी कार्य डिजिटल तरीके द्वारा हो रहे हैं। यहां भी डिजिटल मूल्यांकन की शुरुआत की गई है लीजिए जानिए इसके बारे में।
1.चुनिंदा विषयों में ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाएगी इससे परिणाम घोषित करने में तेजी आएगी
2.डिजिटल प्रक्रिया पारदर्शी और त्रुटि मुक्त रहेगी इसमें गलती की संभावना बहुत कम रहेगी
दो सत्र परीक्षा प्रणाली
सीबीएसई बोर्ड में 2026 से 2 सत्र परीक्षा प्रणाली की घोषणा की है 1 साल की पढ़ाई को उन्होंने दो सत्र में डिवाइड कर दिया है नीचे जानते हैं इस प्रणाली के विषय में।
1.पहला सत्र नवंबर और दिसंबर में खत्म होगा और दूसरा सत्र मार्च अप्रैल में खत्म किया जाएगा इस नियम के द्वारा छात्रों पर पढ़ाई का प्रेशर कम रहेगा।
2.इस प्रणाली के द्वारा छात्रों को नियमित अध्ययन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा
3.इस प्रणाली से छात्रों पर पढ़ाई का दबाव काम रहेगा छात्र दो सत्र की परीक्षा द्वारा आसानी से पढ़ाई कर लेगा।
डिस्क्लेमर
इस लेख में उल्लेखनीय सभी बातें सूचनात्मक उद्देश्यों पर आधारित है सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट या सरकारी सूचनाओं पर यह लेख आधारित नहीं है हमारे द्वारा छात्रों को यह सलाह है कि वैसी भी ऐसी की आधिकारिक वेबसाइट या अपने स्कूल के प्रशासन से सटीक जानकारी प्राप्त करने के बाद ही उचित निर्णय लें एक में दी गई जानकारी कोई भी अंतिम ना माने।